भारत में तीज का त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, खासकर उत्तर भारत में। यह त्यौहार महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है।
शिव-पार्वती का मिलन: तीज का त्यौहार भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी दुल्हन बनाया था।
सुहागिनों का त्यौहार: विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं।
कुंवारियों की कामना: अविवाहित लड़कियां मनचाहा वर पाने की कामना के साथ तीज का व्रत रखती हैं।
फसल की खुशी: तीज का त्यौहार मानसून के मौसम में आता है जब फसलें लहलहाती हैं। इस मौसम में प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेने के लिए भी तीज मनाई जाती है।
महिला सशक्तिकरण: तीज का त्यौहार महिलाओं को एक साथ आने और एक-दूसरे के साथ समय बिताने का अवसर प्रदान करता है।
सांस्कृतिक विरासत: तीज भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। यह त्यौहार पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है।
धार्मिक महत्व: तीज का धार्मिक महत्व भी है। इस दिन माता पार्वती की पूजा की जाती है और उनसे सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।
सामाजिक एकता: तीज का त्यौहार लोगों को एक साथ लाता है और सामाजिक एकता को बढ़ावा देता है।
आध्यात्मिक विकास:तीज का व्रत रखने से आत्म-शुद्धि और आध्यात्मिक विकास होता है।
खुशी और उल्लास: तीज का त्यौहार खुशी और उल्लास का त्यौहार है। इस दिन महिलाएं गीत गाती हैं, नृत्य करती हैं और एक-दूसरे को उपहार देती हैं।
तीज का त्यौहार केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण, सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक एकता का प्रतीक है।
यह त्यौहार खुशी, उल्लास और आध्यात्मिक विकास का भी प्रतीक है। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कई वर्षों तक कठोर तपस्या की थी।
उनकी तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया।
इसलिए, इस दिन को माता पार्वती और भगवान शिव के पुनर्मिलन के रूप में मनाया जाता है।
यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति के कल्याण, स्वास्थ्य और लंबी आयु तथा सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं
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