सरकारी डेटा: भारत सरकार द्वारा मस्जिदों की संख्या का कोई आधिकारिक सर्वेक्षण या डेटाबेस नहीं रखा जाता है।
अनुमान: विभिन्न संगठनों और मीडिया रिपोर्टों द्वारा प्रकाशित अनुमानों पर आधारित आंकड़े।
धार्मिक संगठन: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे धार्मिक संगठनों के पास भी मस्जिदों की संख्या का कोई निश्चित डेटा नहीं है।
अधिकांश मस्जिदें: उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, और केरल जैसे राज्यों में स्थित हैं।
कम घनत्व वाले क्षेत्र: पूर्वोत्तर भारत, हिमाचल प्रदेश, और उत्तराखंड जैसे राज्यों में मस्जिदों की संख्या कम है।
भारत में मस्जिदों का इतिहास: 7वीं शताब्दी से शुरू होता है, जब मुस्लिम भारत आए थे।
विभिन्न स्थापत्य शैलियाँ: भारत में मस्जिदें विभिन्न स्थापत्य शैलियों को प्रदर्शित करती हैं, जो इस्लामिक और स्थानीय कला और संस्कृति का मिश्रण दर्शाती हैं।
प्रमुख मस्जिदें: जामा मस्जिद (दिल्ली), चारमिनार (हैदराबाद), ताज-उल-मस्जिद (भोपाल) और मक्का मस्जिद (हैदराबाद) कुछ प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मस्जिदों के उदाहरण हैं।
मुस्लिम समुदाय के लिए: मस्जिदें केवल पूजा स्थल ही नहीं, बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक केंद्र भी हैं।
शिक्षा, कल्याणकारी गतिविधियाँ: कई मस्जिदें मदरसे (धार्मिक स्कूल) चलाती हैं, गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करती हैं
सांप्रदायिक सद्भाव: मस्जिदें विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच सद्भाव और समझ को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
भेदभाव और पूर्वाग्रह: कुछ मस्जिदों को सांप्रदायिक तनाव और भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
अल्पसंख्यक मंत्रालय: अल्पसंख्यक समुदायों के विकास के लिए विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम चलाता है,
अनुमानित संख्या: भारत में मस्जिदों की कुल संख्या का कोई निश्चित आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
अनुमानों के अनुसार, यह संख्या 3 लाख से लेकर 7 लाख तक हो सकती है।
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