Chand Kab Niklega कजली तीज: साल में एक बार भगवान का काला श्रृंगार क्यों?
सुहागन स्त्रियों के कजली तीज का महत्त्वपूर्ण दिन माना जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति को लम्बी उम्र के लिए दिनभर भूखी-प्यासी रहकर निर्जला व्रत रखती हैं
लेकिन क्या आपको पता है कि इस मौके पर भगवान को भी काला श्रृंगार धराया जाता है
साल में सिर्फ एक बार ही भगवान के इस काले श्रृंगार को धराया जाता है. कजली तीज के मौके पर
उदयपुर शहर के जगदीश मंदिर में भगवान को विशेष श्रृंगार करते हुए काले वस्त्र पहनाए जाते हैं.
भगवान के इस रूप को देखने के लिए बढ़ी संख्या में भक्त भगवान के दर्शन करने पहुंचे. सालभर में यहीं एक मौका होता है
जगदीश मंदिर के पुजारी श्याम सुंदर पुजातिव ने बताया कि जगदीश मंदिर में ब्रज की परंपरा के अनुसार सावन के पूरे महीने लहरियों का श्रृंगार होता है
शाम के समय भगवान को भोग में सत्तू के लड्डू का ही भोग लगाया जाता है. भक्तों में भी कजली तीज का खास उत्सव देखने को मिलता है
उदयपुर शहर के जगदीश मंदिर के वंशानुगत पुजारी गजेन्द्र पुजारी ने Local 18 को बताया
कि सावन के महीने में भगवान को विशेष लहरिया पोशाक धारण कराई जाती है
सावन की शुरुआत से कजलिया तीज तक भगवान के झूले के मनोरथ के दर्शन होते हैं
भक्तों में भी इसको लेकर विशेष उत्साह देखने को मिलता है. हर दिन भक्तों द्वारा भगवान का झूला सजाया जा रहा है
जिसमें मुख्य रूप से फूल, मेवा, पत्ती, मोगरा होता है और किनारे के हिंडोले(झूले) तैयार किए जा रहे हैं. अंतिम दिन काले रंग का झूला ठाकुर जी के तैयार किया जाता है.
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