'भूल माफ माफ' को रिलीज हुए एक हफ्ता हो गया है और ये कहना गलत नहीं होगा कि ये गेम चेंजर है।

जिस तरह से 7 पिक्चर्स ने डॉन्स में अपने बजट का 88% कमाया है, वो इसकी कीमत वसूल है।

प्रिंस राव और वामिका गब्बी की फिल्म 'भूल चूक माफिया' ने रिलीज के पहले हफ्ते में ही 44.10 करोड़ रुपये की शानदार कमाई कर ली है। ये बिजनेस बॉक्स ऑफिस पर काफी महंगा है।

है। जाहिर है, ये अपने दूसरे वीकेंड में न सिर्फ 50 करोड़ पार कर जाएगी, बल्कि होस्टेस की तरफ से डेक प्रमोशन भी खूब होगा। लेकिन करण शर्मा के निर्देशन में बनी इस जूलरी की ये सक्सेसफुल कमाई कहीं और ही है। आइए देखते हैं कैसे!

साल 2025 के 5 महीनों में हमने बड़े बजट और बड़े सुपरस्टार वाली फिल्में देखी हैं। सलमान खान की ईद पर रिलीज हुई 'सिकंदर' हो या डेमोक्रेटिक पार्टी की 'इमरजेंसी', ये समर्थक दर्शकों को सिनेमाघर तक खींच लाते रहे।

लेकिन 'भूल माफ माफ' ने उम्मीदों के विपरीत अच्छा प्रदर्शन किया। खास तौर पर तब जब इसे प्रोटोटाइप क्रिटिक्स से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली। मुख्य दिन से ही यह रहस्यमयी पोर्टफोलियो से कहीं आगे निकल गई।

'भूल माफ माफ' ऐसी फिल्म रही है जिसने टेलीकॉम रिलीज के बाद से ही दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। कॉमेडी और इमोशन के टच वाली कहानी को फैमिली ऑडियंस ने खूब पसंद किया। पहले वीकेंड में हमने सिनेमाघरों में दर्शकों की लंबी कतारें भी देखीं।

शुरुआत में फिल्म के छोटे बजट और सीमित 'मास अपील' के कारण ट्रेड एनालिस्टों ने भी इस पर दांव लगाया। खास तौर पर रिलीज के दो हफ्ते बाद ही फिल्म के ओटीटी पर रिलीज होने के बाद बाजार में इसकी बॉक्स ऑफिस सफलता को लेकर संशय था।

बास्केटबॉल ऑफिस के लिए गेम चेंजर, ट्रेड एनालिस्ट भी हैरान यह कहना गलत नहीं होगा कि 'भूल चूक माफिया' में गेम चेंजर उभर रहा है। इसने पहले ही दिन से आधी कमाई करके ट्रेड स्टॉक्स को चौंका दिया। इसे वीकडेज पर भी देखें।

जहां एक तरफ 'भूल चूक माफिया' के निवेशकों को लेकर जबरदस्त हंगामा मचा हुआ है, वहीं 'भूल चूक माफिया' एक ऐसी तूफानी धार है, जिसका बड़े पैमाने पर प्रचार होता है, टिकट काउंटर पर कमाई होती है और दर्शकों को भी पसंद आती है। 'मैडॉक स्टॉक एक्सचेंज' को लगातार सफलता मिल रही है

यह मैडॉक फिल्म्स के लिए भी बड़ी सफलता है, इस साल उनकी 'छावा' को सुपर एस पैकेज मिले और अब्बू 'ला फाफ माफ' में भी दमदार कहानी है जो फिल्मों की समझ को बरकरार रखती है।

पिछले कुछ सालों में हमने देखा है कि अगर छोटे शहरों से जुड़ी किताबें स्क्रीन पर दिखाई जाती हैं, तो दर्शक उन्हें पसंद करते हैं। 'भूल फेल माफ' के साथ यह बात और भी सच साबित होती है।

कंपनी अब आने वाले सप्ताहांत में देखेगी कि डिलाइट क्लिनिक कितना आगे तक पहुंचती है, अगर प्लास्टिक सब ठीक है, तो यह 'छावा' और 'रेड 2' के बाद साल की तीसरी बॉलीवुड हिट बनने की राह पर है।

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