बहुत बढ़िया सवाल! भारतीय मुद्रा का नाम "रुपया" और उसका प्रतीक (₹) इसके पीछे एक दिलचस्प ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि है।

"रुपया" शब्द संस्कृत शब्द "रूप्यक" से लिया गया है, जिसका अर्थ है -"चाँदी से बना" या "धातु का सिक्का"।

"रूप्यक" या "रूप्यक" कहे जाने वाले चाँदी के सिक्कों का उपयोग प्राचीन भारत में व्यापार और विनिमय में किया जाता था।

ये सिक्के मौर्य साम्राज्य (322-185 ईसा पूर्व) के दौरान भी प्रचलन में थे।

शेर शाह सूरी का योगदान (1540-1545):

अफगान शासक शेर शाह सूरी ने "रुपया" नामक एक चांदी का सिक्का चलाया जिसका वजन लगभग 11.34 ग्राम था।

यहीं से "रुपया" आधिकारिक मुद्रा के रूप में स्थापित हुआ।

शेर शाह सूरी के समय के रुपये को बाद में मुगलों और फिर अंग्रेजों ने अपनाया।

भारत सरकार ने 2010 में भारतीय रुपये के लिए एक अनूठा प्रतीक (₹) अपनाया।

इसका उद्देश्य भारतीय रुपये को वैश्विक स्तर पर एक अलग पहचान देना था, जैसे डॉलर ($), पाउंड (£), यूरो (€) आदि।

इस प्रतीक को उदय कुमार धर्मलिंगम ने डिज़ाइन किया था, जो उस समय आईआईटी बॉम्बे में प्रोफेसर थे।

उन्होंने 200 से ज़्यादा डिज़ाइनों में से अपना डिज़ाइन चुना और जीता।

देवनागरी 'रा', रोमन कैपिटल 'आर' का शुरुआती हिस्सा, लेकिन बिना वर्टिकल स्ट्रोक के।

भारतीय तिरंगे के दो रंगों (केसरिया और सफ़ेद) को दर्शाती हैं। o इसे "समानता" का प्रतीक भी माना जाता है।

यह प्रतीक भारतीय विरासत और आधुनिकता का संयोजन है। ❞

रुपया शब्द की उत्पत्ति संस्कृत "रूप्यक" - चांदी का सिक्का,आधुनिक रुपया 16वीं शताब्दी में शेर शाह सूरी द्वारा पेश किया गया था, ₹ चिह्न कब अपनाया गया?, जुलाई 2010 डिज़ाइनर उदय कुमार (IIT बॉम्बे) ,प्रेरणा देवनागरी 'र' + रोमन 'आर' + तिरंगा

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