आयुर्वेद और पारंपरिक भारतीय मान्यताओं के अनुसार बादाम को "गर्म तासीर" वाला माना जाता है।

इसका मतलब है कि ये शरीर में गर्मी पैदा करते हैं। इसलिए सर्दियों में बादाम खाना खास तौर पर फायदेमंद माना जाता है

जबकि गर्मियों में इसे सीमित मात्रा में खाने या भिगोकर खाने की सलाह दी जाती है ताकि शरीर में बहुत ज़्यादा गर्मी पैदा न हो।

रात भर पानी में भिगोकर सुबह छीलकर खाना सबसे अच्छा तरीका है।

इससे बादाम की तासीर कुछ हद तक संतुलित हो जाती है और इसे पचाना भी आसान हो जाता है।

बादाम बहुत ही पोषक तत्वों से भरपूर ड्राई फ्रूट है जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।

लेकिन इसके सेवन को लेकर अक्सर एक सवाल उठता है

क्या बादाम ठंडे होते हैं या गर्म? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोणों को देखना होगा।

आयुर्वेद में हर खाद्य पदार्थ की एक तासीर (प्रकृति) होती है - गर्म या ठंडी। तासीर का मतलब है शरीर के अंदर उस भोजन का प्रभाव।

इस लिहाज से बादाम की तासीर गर्म मानी जाती है। इसका मतलब है कि यह शरीर में गर्मी पैदा करता है और इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है, खासकर सर्दियों के मौसम में।

बादाम में वसा, प्रोटीन, विटामिन ई, मैग्नीशियम और फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं। यह शरीर को ऊर्जा देने वाला खाद्य पदार्थ है।

इसके नियमित सेवन से शरीर मजबूत होता है और सर्दियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। यही वजह है कि सर्दियों में बादाम, घी, शहद और सूखे मेवों से बने लड्डू या च्यवनप्राश खाने की पारंपरिक रूप से सलाह दी जाती है।

हालांकि बादाम की तासीर गर्म होती है, फिर भी इन्हें गर्मियों में भी खाया जा सकता है - लेकिन सही तरीके से। गर्मियों में बादाम को रात भर पानी में भिगो दें और सुबह छीलकर खा लें।

भिगोने से इसकी तीक्ष्णता कम हो जाती है और यह पचने में भी आसान हो जाता है। साथ ही, इससे बादाम में मौजूद एंजाइम सक्रिय हो जाते हैं जो इसके पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करते हैं।

बादाम का असर कितने दिन में होता है?         यहा देखिये

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