आजादी के 9 साल बाद यानी 1956 में यह केंद्र शासित प्रदेश बन गया और फिर 26 साल बाद यानी 1973 में इसका नाम लक्षद्वीप रखा गया।

vयहां 68 हजार की आबादी रहती है. जानिए, लक्षद्वीप के राजनीतिक इतिहास से लेकर द्वीप के बसने की कहानी तक... लक्षद्वीप का इतिहास केरल के कोच्चि से करीब 440 किलोमीटर दूर है।

प्रारंभिक इतिहास: लक्षद्वीप का प्रारंभिक इतिहास अलिखित है। स्थानीय परंपराओं के अनुसार, इन द्वीपों पर पहली बस्तियाँ चेरा राजवंश के अंतिम राजा चेरामन पेरुमल के काल में हुईं।

इस्लाम का आगमन: 13वीं शताब्दी में अरब व्यापारियों के माध्यम से इस्लाम लक्षद्वीप में आया। 16वीं शताब्दी तक लक्षद्वीप की अधिकांश आबादी मुस्लिम हो गई थी।

पुर्तगाली शासन: 15वीं शताब्दी में पुर्तगालियों ने लक्षद्वीप पर कब्ज़ा कर लिया। उन्होंने द्वीपों पर ईसाई धर्म को बढ़ावा दिया, लेकिन 17वीं शताब्दी में डचों के आगमन तक उनकी शक्ति सीमित थी।

डच शासन: 1665 में डचों ने पुर्तगालियों से लक्षद्वीप पर कब्ज़ा कर लिया। डचों ने द्वीपों पर अपने व्यापार और प्रशासन को बढ़ावा दिया।

ब्रिटिश शासन: 1795 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लक्षद्वीप को डचों से जीत लिया। ब्रिटिश शासन के दौरान, लक्षद्वीप एक शांतिपूर्ण और समृद्ध क्षेत्र था।

आजादी के बाद: 1947 में भारत की आजादी के बाद लक्षद्वीप भारत का केंद्र शासित प्रदेश बन गया।

आधुनिक काल: आधुनिक काल में लक्षद्वीप एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गया है। द्वीपों की प्राकृतिक सुंदरता, समुद्री जीवन और समृद्ध संस्कृति ने दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित किया है।

1947 में, भारत की आजादी के बाद, लक्षद्वीप भारत का केंद्र शासित प्रदेश बन गया।

लक्षद्वीप भारत का एक केंद्र शासित प्रदेश है। आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद भारत में कुल 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं

जिनमें से लक्षद्वीप भी है. जानकारी के लिए बता दें कि साल 1956 में लक्षद्वीप को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था।

आधुनिक समय में लक्षद्वीप एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गया है।

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