बच्चों का मानसिक विकास उनकी उम्र के अनुसार होता है। इसका विकास शारीरिक, मानसिक एवं वैज्ञानिक स्तर पर होता है।

गर्भावस्था के दौरान बच्चे का मानसिक विकास शुरू हो जाता है।

बच्चों को जितना हो सके खेलना-कूदना चाहिए।

बच्चों को अधिक से अधिक अभ्यास कराना चाहिए।

बच्चों को जितना हो सके पढ़ाई के लिए आवेदन करना चाहिए।

जितना हो सके बच्चों को सोने से हतोत्साहित करना चाहिए।

बच्चों को यथासंभव खुश रहने का लाइसेंस देना चाहिए।

बच्चों का मानसिक विकास जन्म से 8 वर्ष की आयु के बीच सबसे अधिक होता है। इस दौरान बच्चों का दिमाग तेजी से विकसित होता है

बच्चों को सीखने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। उन्हें नई मशीनें सीखने का अवसर प्रदान किया जाना चाहिए।

बच्चों को सुरक्षित वातावरण में रहना चाहिए। उन्हें शारीरिक और संक्रामक रूप से सुरक्षित महसूस कराया जाना चाहिए।

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एक स्वस्थ शरीर में एक स्वस्थ दिमाग होता है। इसलिए बच्चों को नियमित रूप से टीका लगवाना चाहिए और उन्हें बीमार होने से बचाना चाहिए।

बच्चों की मानसिक क्षमता का विकास धीरे-धीरे होता है। 5 साल तक के बच्चे के लिए सरल पोस्ट ऑफिस समाधान किया जा सकता है।

कल्पनाशक्ति का विकास बहुत तेजी से होता है। वे नए अवशेषों का आविष्कार करने में सक्षम हैं।

इस अवधि में बच्चे में निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। वे अपनी राय बना सकते हैं और उनके साथ बातचीत कर सकते हैं।

इस अवधि के दौरान बच्चों में आलोचनात्मकता का विकास हो रहा है। वे नई चीजें बनाते हैं और उनका आनंद लेने में सक्षम होते हैं।

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