हृदय रोग: तनाव से हृदय गति बढ़ जाती है, रक्तचाप बढ़ जाता है और रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है। ये सभी कारक हृदय रोग के खतरे को बढ़ाते हैं।

स्ट्रोक: तनाव के कारण रक्त वाहिकाओं में ऐंठन हो सकती है, जिससे रक्त प्रवाह बाधित हो सकता है। इससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

मधुमेह: तनाव इंसुलिन उत्पादन को कम कर सकता है, जिससे मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है।

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं: तनाव पेट में ऐंठन, दस्त, कब्ज और एसिड रिफ्लक्स जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है।

मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं: तनाव से चिंता, अवसाद और घबराहट जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

नींद की समस्या: तनाव के कारण नींद आने में परेशानी हो सकती है, या नींद में खलल पड़ सकता है।

त्वचा संबंधी समस्याएं: तनाव से मुंहासे, एक्जिमा और सोरायसिस जैसी त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना: तनाव रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर सकता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

नियमित व्यायाम करें। व्यायाम तनाव को कम करने और मूड में सुधार करने का एक शानदार तरीका है। सप्ताह में कम से कम 150 मिनट मध्यम-तीव्रता वाले एरोबिक व्यायाम करें या 75 मिनट उच्च-तीव्रता वाले एरोबिक व्यायाम करें।

पर्याप्त नींद लें। नींद की कमी तनाव को बढ़ा सकती है। इसलिए, हर रात कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें।

रिलैक्सेशन तकनीक सीखें। मेडिटेशन, प्रोग्रेसिव मसल्स रिलैक्सेशन, गाइडेड इमेजरी, और गहरी सांस लेना सभी तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं।

अपने आप को व्यस्त रखें। जब आप खाली होते हैं, तो आपके मन में नकारात्मक विचार आना अधिक आसान होता है। इसलिए, अपने आप को ऐसे गतिविधियों में व्यस्त रखें जो आपको पसंद हों।

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