वानस्पतिक दृष्टि से केले के वृक्ष को वृक्षों की श्रेणी से बाहर रखा गया है।
बेशक इसके आकार को देखकर लोग इसे पेड़ कहते हैं, लेकिन केले का पेड़ वास्तव में पेड़ नहीं है।
वनस्पति विज्ञान के अनुसार यह मेहंदी, पुदीना, तुलसी या अन्य जड़ी-बूटियों की तरह एक पौधा है।
वास्तु टिप्स केले के पेड़ का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इसका प्रयोग भगवान विष्णु की पूजा में किया जाता है।
इसके अलावा गृह प्रवेश के समय दरवाजे के दोनों ओर केले का पौधा रखना बहुत शुभ माना जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण : वनस्पति विज्ञान के अनुसार केला एक पौधा है, पेड़ नहीं।
तने में अंतर: पेड़ों का तना लकड़ी जैसा होता है, जबकि केले के तने में लकड़ी नहीं होती, यह मुलायम और गूदेदार होता है।
आयु: पेड़ वर्षों तक जीवित रहते हैं, जबकि केले का पौधा फल देने के बाद मर जाता है।
ऊंचाई: केले के पौधे 2-8 मीटर तक ऊंचे हो सकते हैं, लेकिन पेड़ों से छोटे होते हैं।
जड़ें: केले के पौधों की जड़ें मजबूत नहीं होती हैं, जबकि पेड़ों की जड़ें गहरी और मजबूत होती हैं।
पत्तियाँ: केले के पौधे की पत्तियाँ बड़ी और चौड़ी होती हैं, जबकि पेड़ों की पत्तियाँ विभिन्न आकार और प्रकार की होती हैं।
फूल: केले के पौधे में एक बड़ा फूल होता है, जिसे "गुच्छा" कहा जाता है, जिसमें कई छोटे फूल होते हैं।
फल: केला फल एक "बेरी" है, जो एक प्रकार का फल है जो बीज से भरा होता है।
उपयोग: केले का उपयोग फल, सब्जियों और उनके औषधीय गुणों के लिए किया जाता है, जबकि पेड़ों का उपयोग लकड़ी, फल और छाया के लिए किया जाता है।