धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। हर साल गणेश जी का जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
बल्कि उनका विसर्जन करना भी बहुत जरूरी है। कैसे किया जाता है गणपति विसर्जन? गणपति विसर्जन के लिए पूजा करने वाले व्यक्ति पर जल छिड़का जाता है
विसर्जन के लिए घर से निकलते समय गणपति बप्पा को नारियल चढ़ाया जाता है और उसे एक ही बार में फोड़ दिया जाता है।
भगवान गणेश के साथ नारियल का भी विसर्जन किया जाता है। गणपति को विसर्जन के लिए ले जाते समय उन सभी चीजों को एक पोटली में बांध लें
गणेश जी के साथ ही उसे भी विसर्जित कर दें। जितने दिनों तक आपने गणपति की पूजा की है, उन दिनों में जो भी गलती हुई हो, उसके लिए बप्पा से क्षमा मांगें।
चाहे वह गणेश जी की मूर्ति हो या प्रतिमा, उसे धीरे-धीरे पानी में विसर्जित करें। उसे तुरंत नीचे न गिराएं और न ही पटकें।
वर्ष 2024 में गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को पड़ रही है। भगवान गणेश को समर्पित इस त्यौहार में मूर्ति स्थापना, दैनिक पूजा जैसे अनुष्ठान शामिल हैं
इसके बाद गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। अनंत चतुर्दशी को भगवान गणेश की पूजा के अंतिम दिन के रूप में मनाया जाता है।
अनंत चतुर्दशी तिथि को गणेश विसर्जन के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की उनके अनंत रूप में पूजा की जाती है,
जिससे चतुर्थी तिथि और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। भगवान विष्णु के भक्त इस दिन व्रत रखते हैं।
हालांकि मूर्ति को गणेश चतुर्थी से पहले घर लाया जा सकता है,
लेकिन इसे चतुर्थी तिथि के शुभ मुहूर्त में ही स्थापित किया जाना चाहिए।
गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले मूर्ति स्थापित करना अनुचित माना जाता है।
गणेश उत्सव का दस दिवसीय उत्सव हिंदू पौराणिक कथाओं में निहित है।
वर्ष 2024 में गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को पड़ रही है। भगवान गणेश को समर्पित इस त्यौहार में मूर्ति स्थापना
दैनिक पूजा जैसे अनुष्ठान शामिल हैं और विसर्जन के साथ इसका समापन होता है, जो 17 सितंबर को होगा।