मकर संक्रांति उत्तरायण का प्रतीक है। इस दिन से सूर्य देव उत्तर की ओर बढ़ने लगते हैं, जिसे उत्तरायण कहा जाता है। उत्तरायण का काल सौभाग्य और समृद्धि का काल माना जाता है।
मकर संक्रांति सूर्य देव की आराधना का पर्व है। इस दिन सूर्य देव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को सौभाग्य और समृद्धि प्रदान करते हैं।
मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का सेवन किया जाता है। तिल को दरिद्रता दूर करने वाला और गुड़ को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इस दिन तिल और गुड़ का सेवन करने से सौभाग्य और समृद्धि आती है।
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मकर संक्रांति पर खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. खिचड़ी को भोजन का प्रतीक माना जाता है. इसलिए इस दिन खिचड़ी चढ़ाने से धन धान्य में समृद्धि आती है।
मकर संक्रांति पर पतंगें उड़ाई जाती हैं। पतंग को आसमान में ऊंची उड़ान का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इस दिन पतंग उड़ाने से व्यक्ति के जीवन में तरक्की आती है।
मकर संक्रांति पर दान का विशेष महत्व है। इस दिन काले तिल, सफेद तिल, गुड़, कंबल, वस्त्र आदि का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
मकर संक्रांति नए कार्य शुरू करने का शुभ समय है। इस दिन नए घर में प्रवेश, नया व्यवसाय शुरू करना, नई नौकरी पाना आदि शुभ माना जाता है।
मकर संक्रांति के दिन सभी रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ खुशियां मनाई जाती हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को तिल और गुड़ का प्रसाद बांटते हैं और शुभकामनाएं देते हैं।
मकर संक्रांति एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन सभी लोग मिलकर जश्न मनाते हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
मकर संक्रांति के अवसर पर भारत के विभिन्न पत्थरों में, और राजस्थान में, पतंग पर आक्रमण की प्रथा है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलकर स्वयं उनके घर जाते हैं। शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। ।।