मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। इसे उत्तरायण का पर्व भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और उत्तर की ओर बढ़ता है।

मकर संक्रांति को भारत के कई हिस्सों में नए साल के रूप में मनाया जाता है। यह नए साल, नई शुरुआत और नई आशाओं का प्रतीक है।

मकर संक्रांति पर कई धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान किये जाते हैं। इनमें सूर्य देव को अर्घ्य देना, खिचड़ी खाना, तिल-गुड़ का प्रसाद बांटना और पतंग उड़ाना शामिल है।

मकर संक्रांति अनुष्ठान: मकर संक्रांति पर कई धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान किये जाते हैं। इनमें सूर्य देव को अर्घ्य देना, खिचड़ी खाना, तिल-गुड़ का प्रसाद बांटना और पतंग उड़ाना शामिल है।

मकर संक्रांति हर्षोल्लास का पर्व है। इस दिन लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं और नए साल की शुभकामनाएं देते हैं।

सूर्य देव को अर्घ्य देना: मकर संक्रांति पर सूर्य देव को अर्घ्य देना एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। लोग पवित्र नदियों या अन्य जल स्रोतों में स्नान करते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं।

खिचड़ी खाना: मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने का भी विशेष महत्व है। खिचड़ी एक पौष्टिक और स्वादिष्ट व्यंजन है. इसे नई शुरुआत और नए साल के लिए शुभ माना जाता है।

तिल-गुड़ का प्रसाद बांटें: मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ का प्रसाद बांटना भी एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। तिल और गुड़ को स्वास्थ्य, धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

मकर संक्रांति एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जो हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

यह नए साल, नई शुरुआत और नई आशाओं का प्रतीक है। यह खुशी और उत्सव का त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाता है।

मकर संक्रांति नामक हिंदू फसल उत्सव लोहड़ी के एक दिन बाद आता है

आमतौर पर जनवरी के मध्य में होता है। पूरे देश में लोग इसे उत्साह के साथ मनाते हैं सूर्य देव की पूजा करने के लिए एक साथ आते हैं।

फसल उत्सव के रूप में भी जाना जाता है, मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि (मकर नक्षत्र या राशि चक्र) में संक्रमण का प्रतीक है। यह लंबे दिनों की शुरुआत और सूर्य के उत्तर की ओर बढ़ने का संकेत देता है

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